Book Title: Shrimad Devchandra Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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९७४
कर्मसंवेधप्रकरण.
आणतिरिदुगविहीणं मणुदुगजुत्तमणुए एगंभंगापणअपइझे २५ । २५भं॥ ॥ ५१ ॥ बायरपरित्तपणवीस मज्झेआयावजुअलवी संति अहवाउज्जोअजुअं भंगाअडदुगणइगजुग्गा ॥ ५२ ॥ वनवणंदितसच परवावे उविदेवदुगसुगइ समथिरइयरळगेवा देवडवीसेटपुव्वंता ||५३ || मिच्छेदसअपसत्थेदिं इगभंगोनिरयजुग्गअडवीसे षिवविअलेपणवीसे कुखगइप झत्तपरिचदुदुसरं ||५४ || असमतही नववीसा भंगाचोवीसवियलपञ्चईया बंधइतिरिनरमिच्छा 'घुवतिरिपरवाय उरलदुगं ।। ५५ ।। तसचउपणंदिवीसे, संघयणागिइसुज्यन्नतमदुतयं थिरमथिरंवाळकं, खगईइगसव्वगुणतीसं ॥५६॥ यस समयदुगणा संघयणगुणायआगइगुणआ छयालसयटभंगा ति एम एवमेव ॥ ५७|| देवडवी से जिणजुअ भंगठगसम्मओअपुव्वंजा विअलपणंदी यतिरिजुग्ग गुणती से जो अजुअतीसं ॥ ५८ ॥ पुव्विवभंगसामीअ नरगुणती से सजिणअडभंगा सुरअडवीसे साहार भंगमिगनरअपुव्वंजा ॥५९॥ आहारती सजिणजुअ बंधइसुमुणीअएगजसपगइ एगविहबंधठाणे, अपुव्वओसुमठाणंजा ||३०|| इगविगलथावरे अडविसिगतीस एगविणुपंच, देवे सुती सगुणतीस छवीसपणवीस वीसा ॥ ६१ ॥ तसजोअकसाऐसुं चक्खुदुआहारभष्वनरसंन्नी पंचदीयविएसुं सव्वेदेसेनवडवीसा || ६२ || तिरिअ विरयअन्नाणे आइतिलेसेअभव्वअणहारे मिच्छअसंन्निसुठाणा णेयाइगतीसगविणा || ६३ || एगविणातेउए तिवीस छब्वीसहीणपमाए सासाणे अडवीसतिअं इगतीसजयंचपरिहारे || ६४ || नागणचउओहिदंसे, उवसमषवगेअछे असामाइए आइतिबंध विणायण एगविणावे अगे || ६५ || अहखायकेवलदुगे अबंधसुहुमेएगविहबंधो गुणती सतीसनिरये मीसे अडवीसगुणतीसं ॥ ६६ ॥
सुक्का एतेवी सगळवी सहीणाय तेउएभंगानिरविगलसुहमतिगेहीणागविणुपम्माअतिरिसक्का ॥ १ ॥ इति मा० बंधस्था० ||
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