Book Title: Shravak Dharma Anuvrata
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 8
________________ श्रावक धर्म-अणुवत श्रावक धर्म अणुव्रत का वर्णन करते शास्त्रकारों ने कई तरह से समझाया है, और जिसके वर्णन में अंगसूत्र की रचना भी करदी। साधु धर्म बताते पांच महाव्रत और आचारांग सूत्र पृष्ठ ३८२ पर कहे अनुसार पच्चीस भावना से जिनका पालन और चरण सत्तरी करण सत्तरी के भेद बता कर महाव्रत पालन में सुविधा करदी। भगवन्त परमात्मा ने पांच महाव्रत अंगीकार किये थे, और स्वीकृति पाठ जो निज के लिए था, वही साधु पद लेते समय स्वीकार करना बताया और कहा कि यह मोक्ष पाने की कुञ्जी है । लिया हुआ महाव्रत त्रिकरणयोग से पालने वाले मुक्तिगामी होते हैं। साधु महाराज महाव्रत को सम्पूर्ण पालते रहें, इस लिए महाव्रत नाम दिया गया और यही ब्रत श्रावक अमुक अंश में पालते हैं, इसलिए अणुब्रत नाम दिया गया। यहां पर श्रावक के अणुव्रत से सम्बन्ध है, जिनके नामः-(१) प्राणातिपात विरमण व्रत Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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