Book Title: Shravak Dharma Anuvrata Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal NagoriPage 25
________________ १८ श्रावक धर्म-अणुव्रत ब्रह्मव्रती (२) स्वदारा संतोषी और (३) परदारा त्यागी। इस प्रकार के व्रती पुरुष में से प्रथम प्रकार के व्रतधारी को तो इस व्रत के पांचों अतिचार लगते हैं, परन्तु दूसरे तीसरे ब्रह्मचारी के विषय में मत भेद हैं । श्रीमान भगवन् हरिभद्रसूरिजी महाराज ने आवश्यक सूत्र की टीका में लिखा है कि स्वदारा संतोषी को पांचों अतिचार लगते हैं, परन्तु परदारा त्यागी को पहिले के दो नहीं लगते इस तरह का वर्णन आवश्यक सूत्र की टीका पृष्ठ ८२५ पर है। इस विषय में दूसरा मत यह है कि स्वदारा संतोषी को पहिला अतिचार छोड़ कर शेष चार अतिचार लगते हैं। तीसरा मत यह है कि परदारा त्यागी को पांचों अतिचार लगते हैं, परन्तु स्वदारा संतोषी को दो छोड़ कर शेष तीन अतिचार लगते हैं, इस तरह से भिन्न भिन्न मत हैं। पञ्चाशक टीका पृष्ठ १४ और १५ पर स्पष्ट किया है कि इस विषय में पांचों अतिचार लगते हैं, और यह कथन मत भेद रहित बताया है। अतः हमें तो जो लाभ की बात हो उसे ग्रहण करना चाहिए । अब अतिचार Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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