Book Title: Shravak Dharma Anuvrata Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal NagoriPage 60
________________ श्रावक धर्म-अणुव्रत बारहवां अतिथि संविभाग व्रत इस व्रत में मुख्यतया चऊविहार उपवास वाला पौषध के पारने के दिन एकासना करे, जिन पूजा करे और मुनिराज को लावे और जितनी चीज मुनिराज बहोरें उतनी प्रमाण में वस्तु लेकर पारना करे, या जितने द्रव्य मुनिराज लेवें उतने द्रव्य से पारना करे, इस तरह का योग प्राप्त न हो तो व्रतधारी श्रावक को भोजन कराने बाद पारना करे, इस व्रत में और भी आगार रखना हो तो नोंध कर लेना और वर्ष में कितनी बार अतिथि सत्कार करना है, संख्या में निर्णित कर लेना। इस व्रत के पांच अतिचार १) सचित्त निक्षेपसचित्त वस्तु अचित्त वस्तु में मिला कर बोहराना (२) सचित्त-पिधान-सचित्त वस्तु से ढांकी हुई अचित्त वस्तु बोहराना (३) अन्य व्यप देश-अपनी वस्तु औरों की बता कर देने से इन्कार करना-अथवा औरों की वस्तु निज की बता कर बोहराना (४) समत्सरधन-मत्सर कर के दान देना (५) कालातिक्रम-बोहरने का समय हो जाने बाद जा कर गौचरी के लिये लाने का आग्रह करना, इस तरह Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70