Book Title: Shravak Dharma Anuvrata
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

Previous | Next

Page 48
________________ ४ . . . . .. h . सातवां भोगोपभोग विरमण व्रत भोग-एक बार काम में आने वाली वस्तु जैसे जन, पान, विलेपन आदि जो एक बार ही काम में जाने वाली वस्तुएँ। उपभोग-जो वस्तु अनेक बार काम में ली जाती है, • आभूषण, वस्त्र, स्त्री, वाहन, मकान, फर्नीचर आदि का प्रमाण गिनती से या वजन से करना चाहिए। के चौदह नियम बताये हैं जिन का संक्षिप्त इस प्रकार हैचत्त वस्तु-मुख में लेने का प्रमाण । घ-मुख में जितनी वस्तु डाली जाय उनका स्वाद ग अलग हो तो द्रव्य संख्या प्रमाण करना । य-अर्थात् घृत, तेल, दूध, दही, गुड और कडाई छे विगयों में से हो सके जितनी का त्याग करना, में कच्ची विगय या मूल से जिस प्रकार इच्छा पाग करना। --उपानह, अर्थात् पांव रक्षा पगरखी, बूट, आदि की संख्या का प्रमारण करना। Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70