Book Title: Shravak Dharma Anuvrata
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 56
________________ श्रावक धर्म-अणुव्रत ५६ दशवां देशावगासिक व्रत दसवां व्रत छठे व्रत को संक्षेप करने के हेतु से है हाल में ऐसी प्रथा है कि एकासना, आयबिल या उपवास करके एक साथ दस सामायिक करते हैं । सामायिक काल में व्याख्यान श्रवण, ध्यान, अध्ययन स्मरण पाठ इच्छानुसार करते हैं। ऐसे व्रत वर्ष में जितने किये जांय उतनी संख्या लिख लेना । ऐसा लेख भी मिलता है कि आठ सामायिक और दो टंक प्रतिक्रमण करना। इस व्रत के पांच अतिचार हैं (१) अनयन प्रयोगनियम उपरांत की भूमि से वस्तु मंगवाना (२) प्रेष्य प्रयोगनियम से विशेष दूर वस्तु भेजना (३) शब्दानुपात-शब्द द्वारा हद्द बहार से वस्तु मंगवाना (४) रुपानुपात-स्व रूप-रूप दिखा कर नियम उपरांत दूर से वस्तु मंगवाना (५) पुद्गल प्रक्षेप-कंकर आदि फेंक कर इशारा करके नियम विरुद्ध वस्तु मंगवाना। Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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