Book Title: Shravak Dharma Anuvrata Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal NagoriPage 26
________________ श्रावक धर्म-अणुव्रत ... . ...... . ...... . .. का भेद बता देते हैं (१) कुंवारी कन्या या वेश्या के साथ सम्बन्ध जोड़ना यह पहिला अतिचार है (२) जिस स्त्री को अल्प समय के लिए किसी ने रखी हो उसके साथ सम्बन्ध जोड़ना (३) सृष्टि के विरुद्ध काम क्रीडा करना (४) निज के पुत्र पुत्री के सिवाय किसी के ब्याह करनाकराना और (५) काम भोग की तीव्र अभिलाषा करना और ऐसे विचारों में मग्न रहना, इस प्रकार के अतिचार न लग जायें जिसका ध्यान रखना चाहिए। ____ कई बार चक्षु द्वारा बेकारण कर्म बंध हो जाता है, श्रवण इन्द्रिय द्वारा भी होजाता है और बुरी दृष्टि से या बुरे विचारों से मन परिणाम बिगड़ जाता है, अतः ऐसे समय में संयम रखना चाहिए। शीयल पालने का विशेष महत्व है, धन्नेणं से पुरिसे कयत्थे महाणुभावे जेणं लोगलज्जाए वि सीलं पालेइ ॥ "महानिशीथ सूत्र" ते कारण लज्जादिक थी, शील धरे जे प्राणी जी । धन्य तेह कृत पुण्य कृतारथ महानिशीथे वाणी जी ।। "श्रीमद उपाध्यायजी" Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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