Book Title: Shravak Dharma Anuvrata Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal NagoriPage 23
________________ श्रावक धर्म - अणुव्रत हैं । अतः ऐसे कार्यों से बचते रहना चाहिये, यदि आप इस व्रत का पालन करते हैं तो आपका मान बढ़ेगा और व्यवहार में उत्तम पुरुष की कोटि में आ जायगे । १६ चौथा स्थूल मैथुन विरमरण व्रत -- इस व्रत का पालन करने वाले चतुर्थव्रती को इन्द्र महाराज सभा में बैठते समय प्रणाम करते हैं । ब्रह्मव्रत के लिए कई कथाएं उपदेश और उदाहरण शास्त्र में बताये हैं । आप गृहस्थ हैं, व्यवहार भी साधना है इस लिये मर्यादा पूर्वक व्रत ग्रहण कर सकते हैं । इस व्रत के लेने से कई प्रकार के लाभ होते हैं । स्वास्थ्य सुधरता है, मस्तिष्क शक्तियां वृद्धि पाती हैं और वीर्य रक्षा से शरीर बलवान रहता है, साथ ही दुनियादारी में अनायास अथवा बिना विचारे कार्य आवेश में हो जाते हैं उनके अपराध से बच जायगे । देखिये- (१) स्त्री की लाज बलात्कार से लूटे तो धारा ३५४ में दो वर्ष का कारावास होता है (२) स्त्री के विरुद्ध बलात्कार से बुरे कृत्य करने कृत्य करने से धारा ३७६ में दस वर्ष तक का कारावास होता है (३) सृष्टि के विरुद्ध कर्म करने से धारा ३७७ में दस वर्ष तक का कारावास होता है । इस तरह के अपराधों से बच सकते हैं । अतः परस्त्री Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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