Book Title: Shravak Dharma Anuvrata Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal NagoriPage 12
________________ श्रावक धर्म-अणुव्रत हार देखते हुए सरकार को क्षमा करना चाहिए और कायदे के अनुसार जितनी सजा कम होसके उतनी कम करना उचित है । सज़ा नाम मात्र की हो मेरा मुवक्किल सरकार से भिक्षा मांगता है, देने योग्य है सो दीजियेगा। न्यायाधीश ने निवेदन सुना और सातवर्ष का कारावास न देकर छः महीने का कारावास दिया। यहां पर सोचना यह है कि वकील ने मुवकिल को बचाते बचाते अल्प सजा देने का निवेदन कर दिया और छः महीने का कारावास दिला दिया। कहिये ? वकील दोषी समझा जाय या नहीं ? वकील ने देखा कि मेरे मुवक्किल को सात वर्ष का कारावास होने वाला है तो जितना बचाव हो सकता हो उतना करूं। वकील ने मुवक्किल को बचाया, धनपति सेठ संतुष्ट हुए और परिश्रम भेट भी पूरी दी । इस उदाहरण से समझ लीजिये कि नियम दिलाने वाला तो सर्व प्रकार के पाप कार्यों से सर्वथा बचाना चाहता है, तो सागारिक नियम करा देने से भविष्य में विशेष प्रकार से पाप करने से बचाता है । तो भविष्य में नियमदाता को क्रिया आने का कोई सम्बन्ध नहीं रहता और श्रागारिक नियम लेकर विशेष रूप से पाप कृत्यों के दोष टाल जाने Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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