Book Title: Shatkhandagama Pustak 10
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 17
________________ षट्खंडागमकी प्रस्तावना ३२२ ३२७ क्रम विषय पृष्ठ क्रम विषय पृष्ठ ७३ गुणितकर्माशिकके कालपरिहानि होनेसे उसकी प्ररूपणा, प्रमाण द्वारा अजघन्य द्रव्यकी प्ररूपणा ३०६ और अल्पबहुत्व इन ३ अनुयोग७४ क्षपितकर्माशिकके सत्त्वके आश्रित द्वारोंके द्वारा विशेष प्ररूपणा ४०३ अजघन्य द्रव्यकी प्ररूपणा ३०८ योगस्थानोंका अल्पबहुत्व ४०४ ७५ गुणितकौशिकके सत्त्वाश्रित | ९५ चौदह जीवसमासों में योगाविभागअजघन्य द्रव्यकी प्ररूपणा प्रतिच्छदोंका स्वस्थान अल्पबहुत्व ,, ७६ दर्शनावरण, मोहनीय और अन्त ९६ उनका परस्थान अल्पबहुत्व ४०६ राय सम्बन्धी जघन्य वेदनाकी ९७ उनका सर्वपरस्थान अल्पबहुत्व ४०८ प्ररूपणा ३१३ ७७ उक्त तीन कर्मोंकी अजघन्य वेदना ३१४ | ९८ उपपाद, एकान्तानुवृद्धि और परिणाम योगोंका अस्तित्व ४२० ७८ वेदनीय सम्बन्धी जघन्य वेदनाके ९९ उपर्युक्त अल्पबहुत्वोंकी संदृष्टियां ४२१ स्वामीकी प्ररूपणा (सूत्र७९-१०८) ३१६ १०० कर्मप्रदेशोंका अल्पबहुत्व ४३१ ७९ दण्ड, कपाट, प्रतर और लोक १०१ योगस्थानप्ररूपणामें १० अनुपूरण समुद्घातोंका स्वरूप ३२० योगद्वारोंका उल्लेख ४३२ ८. योगनिरोधका क्रम १०२ योगके विषय में नामादि निक्षेपों ८१ कृष्टिकरणविधान ३२३ की योजना ८२ वेदनीय सम्बन्धी अजघन्य वेदनाकी प्ररूपणा स्थानके विषयमें नामादि निक्षेपों। की योजना ४३४ ८३ क्षपितकाशिकके सत्त्वका आश्रय कर अजघन्य द्रव्यकी प्ररूपणा १०४ योगस्थानप्ररूपणाके अन्तर्गत ८४ गणितकोशिकके सत्त्वका आश्रय १० अनुयोगद्वारोंका नामनिर्देश और उनका क्रम ४३८ ___ कर अजघन्य द्रव्यकी प्ररूपणा ३२९ ८५ नाम व गोत्रके जघन्य एवं अजघन्य १०५ अविभागप्रतिच्छेदप्ररूपणा (१) ४३९ १०६ वर्गणाप्ररूपणा (२) ४४२. द्रव्यकी प्ररूपणा ८६ आयु कर्म सम्बन्धी द्रव्यके स्वामी १०७ गुरूपदेशके अनुसार प्ररूपणा आदि ६ अनुयोगद्वारोंके द्वारा की प्ररूपणा ८७ आयु कर्म सम्बन्धी अजघन्य द्रव्य प्रथमादि वर्गणाओं सम्बन्धी वेदनाकी प्ररूपणा जीवप्रदेशोंका निरूपण १०८ स्पर्धकप्ररूपणा (३) ४५२ ____ अल्पबहुत्व ३८५-३९४ १०९ अन्तरप्ररूपणा (४) ४५५ ८८ जघन्य पदविषयक अन्पबद्दुत्व ११० स्थानप्ररूपणा (५) ८९ उत्कृष्ट पद , " १११ अनन्तरोपनिधा (६) ९० जघन्य-उत्कृष्ट, ३९२ ११२ परम्परोपनिधा (७) ૪૮૮ __ चूलिका ३९५-५१२ ११३ समयप्ररूपणा (८) ४९४ ९१ योगका अल्पबहुत्व ३९५ ११४ वृद्धिप्ररूपणा (९) ४९७ ९२ योगगुणकारका निर्देश अल्पबहुत्व (१०) ५०३ ९३ उक्त अल्पबहुत्वालापके देशामर्शक | ११६ प्रदेशबन्धस्थानोंकी प्ररूपणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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