Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ नंदिफलाइ व्व इहं सिवपहपडिवण्णगाण विसया उ। तब्भक्खणाओ मरणं जह तह विसएहि संसारो 153157 तव्वज्जणेण जह इट्ठपुरगमो विसयवज्जणेण तहा / परमाणंदनिबंधणसिवपुरगमणं मुणेयव्वं 15 / 4 / 58 सुबहुं पि तव किलेसो नियाणदोसेण दूसिओ संतो / न सिवाय दोवतिए जह किल सुकुमालियाजम्मे 16 / 159 अमणुनमभत्तीए पत्ते दाणं भवे अणत्थाय / जह कडुयतुंबदाणं नागसिरिभवम्मि दोवइए 16 / 2 / 60 "जह सो कालियदीवो अणुवमसोक्खो तहेव जइधम्मो / जह आसा तह साहू वणियव्वऽणकूलकारिजणा 17 / 1161 जह सद्दाइअगिद्धा पत्ता नो पासबंधणं आसा / तह विसएसु अगिद्धा बझंति न कम्मणा साहूं 17 / 2 / 62 जह सच्छंदविहारो आसाणं तह य इह वरमुणीणं / जरमरणाई विवज्जिय संपत्ताणंदनिव्वाणं 17 / 3 / 63 जह सद्दाइसु गिद्धा बद्धा आसा तहेव विसयरया। पावेंति कम्मबंध परमासुहकारणं घोरं 17 / 4 / 64 जह ते कालियदीवा णीया अन्नत्थ दुहगणं पत्ता / तह धम्मपरिभट्ठा अधम्मपत्ता इहं जीवा 17 / 5 / 65 पावेंति कम्पनरवइवसया संसारवाहयालीए। . आसप्पमद्दएहि व नेरइयाइहिं दुक्खाइं . 17666 जह सो चिलाइपुत्तो सुंसुमगिद्धो अकज्जपडिबद्धो / धणपारद्धो पत्तो महाडविं वसणसयकलियं 18 / 1 / 67 तह जीवो विसयसुहे लुद्धो काऊण पावकिरियाओ। कम्मवसेणं पावइ भवाडवीए महादुक्खं 18 / 2 / 68 * 255
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