Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ पट्ठवणसए भंगा पुच्छा भंगाणुलोमओ वच्चा / कम्मसमज्जिणणसए बाहुल्लाओ समाओज्जा. // 140 // अप्पडिलेहाईसु अ णवण्ह भंगाण संभवे सत्त / उवहिस्स य उवघाया पुणरुत्ता कीस णिट्ठिा ? // 141 // पगडा दगतीराइसु पच्छित्तादेसबहुलया कीस / तेसिं तिविहो य कहं पूरइ कप्पो अपुणरुत्तो? // 142 // दो किर समाणरूवा बीय तइअ अब्भिंतर त्ति णाभिहिया / जह पच्छित्तवसाओ पुरिसाणं भेयसंयोगा // 143 // आएसविसेसा किर उवघाया उवहिणो तहा कप्पो।। तेसि ति जहा सुत्ते पण्णरसाणंतरा सिद्धा // 144 // एकम्मि वि अवराहे परिणामविसेसओ जओ बहुधा / तो तयणुवत्तिओ च्चिय पच्छित्तादेसबाहुल्लं // 145 // तइयाए ठवणाए पढमबीयाण संभवो णियमा। . एमेवारूवणाए पढमयबिइयाहि किं कज्जं? . // 146 // चरिमाए वा तिण्हं पि संभवो तह वि बोहणत्थं च। सुहगहणत्थं च तहा चरिमाए तदभिहाणं पि // 147 // केई भणंति जुगवं जाणइ पासइ य केवली नियमा। अण्णे एगंतरिअं इच्छंति सुओवएसेणं // 148 // अण्णे ण चेव वीसुं दंसणमिच्छंति जिणवरिंदस्स। जंचिय केवलणाणं तं चिय से दरिसणं बिंति // 149 // जह किर खीणावरणे देसणाणाण संभवो ण जिणे / उभयावरणाईए तह केवलदसणस्सावि // 150 // देसण्णाणोवरमे जह केवलणाणसंभवो भणिओ / देसदसणविगमे तह केवलदसणं होउ // 151 // 303
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