Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 317
________________ देंतस्स लभंतस्स व भुंजंतस्स वि जिणस्स एस गुणो। खीणंतराइयत्ते जं से विग्घो ण संभवइ . // 200 // उवउत्तस्सेमेव य णाणम्मि व दंसम्मि व जिणस्स। खीणावरणगुणोऽयं जं कसिणं मुणइ पासइ वा // 201 // तो भणइ केवलाणं पत्तो इयरेयरावरणदोसो। भण्णइ चउणाणिस्स वि स एव दोसो समाविसइ // 202 / / एवं विणा वि णामं कारणमुप्पायविगमया पत्ता / एवं च सइ विण्णाणुब्भवो कह णु सिद्धाणं? // 203 // जुगवाणुवओगित्ते वुच्चइ चउणाणिणो विणा हेडं। . विगमुप्पायं जह तह जिणस्स जइ होज्ज को दोसो? // 204 // अहवा खीणावरणे जिणम्मि णिक्कारणावरणदोसो। ण उ जुज्जइ छउमत्थे संतावरणे त्ति ते बुद्धी // 205 // भण्णइ छउमत्थस्स वि णाणेगयरोवओगभाविते / संते वि खओवसमे सेसावरणं न संभवइ // 206 // जेणं जया ण जाणइ णूणमुइण्णं तदा तदावरणं / अध संतेण ण जाणइ मिच्छावरणक्खओवसमे // 207 // एवं जं जं कालं उवउज्जइ जम्मि जम्मि णाणम्मि। तं तं कालं जुत्तो तस्सावरणक्खओवसमो // 208 // ठिइकालविसंवाओ नाणाणं णविअ ते चउण्णाणी। एवं सति छउमत्थो अस्थि ण जइ दंसणी समए // 209 // पासन्तो ण वि जाणइ जाणं व ण पासई जइ जिणिदो। .. एवं ण कयाइ वि सो सव्वण्णू सव्वदरिसी य . // 210 // जुगवमजाणंतो वि हु चउहि वि णाणेहिं जह चउण्णाणी / भण्णइ तहेव अरहा सव्वण्णू सव्वदरिसी य // 211 // 300


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