Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 188 // // 189 // // 190 // // 191 // // 192 / / // 193 // जं केवलाइं साई अपज्जवसियाइं दो वि भणियाइं / तो बिंति केइ जुगवं जाणइ पासइ य सव्वण्णू इहराईणिहणत्ते मिच्छावरणक्खओ त्ति वि जिणस्स। इयरेयसवरणया अहवा णिक्कारणावरणं तह य असव्वण्णुत्तं असव्वदरिसणत्तणप्पसंगो य / एगंतरोवओगे जिणस्स दोसा बहु विहिया ठिइकालं जह सेसदंसणणाणाणमणुवओगे वि। दिट्ठमवट्ठाणं तह ण होइ कि केवलाणं पि? तुल्ले वि णाणदंसणसब्भावे किह णु जुगवउवओगो। छठमत्थस्साट्ठिो इट्ठो वि जिणस्स दुविहो वि? सव्वक्खीणावरणो अह मण्णइ केवली ण छउमत्थो / तो जुगवमजुगवं पि च उवओगविसेसणं तेसिं देसक्खए अजुत्तं जुगवं कसिणोभओवजोगित्तं / . देसोभओवओगो पुण इय पडिसिज्झए कीस? - अह णेवेस उ घेप्पउ जह छउमत्थस्सं तह जिणस्सावि / दोण्ह वि उवओगाणं एगस्स य एगसमयम्मि तो भणइ एव मिच्छा उभयावरणक्खओ त्ति केवलिणो। उवउत्तस्सेगयरे जेणेगयरस्स आवरणं भण्णइ भिण्णमुहुत्तोवओगकाले वि तो तिणाणस्स। मिच्छा छावट्ठीसागरोवमाइं खओवसमो अहण वि एवं तो सुण जहेव खीणंतराइओ अहरा / संते वि अंतराइयखयम्मि पंचप्पयारम्मि सययं ण देइ लहइ व भुंजइ उवभुंजई य सव्वन्नू / कज्जम्मि देइ लहइ अ भुंजइ अ तहेव एयम्मि 300 // 194 // // 195 // // 196 // // 197 // // 198 // // 199 //
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