Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 330
________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // उदउ धुवोदयाणं अणाइणंतो अणाइसंतो य / अधुवाण साइसंतो मिच्छस्स उ भंगतिगमेयं वेउविक्कारससम्ममीस तित्थुच्चमणुदुगाउचऊ / अहारसत्त अधुवा धुवसंता सेस तीससयं तिसु मिच्छत्तं नियमा अट्ठसु गुणट्ठाणएसु भयणिज्जं / सासायणम्मि नियमा संतं सम्मं दससु भज्जं सासण मिस्से मिस्सं संतं नियमेण नवसु भइयव्वं / निअमा मिच्छासाणे पढमकसाया नवसु भज्जा सव्वगुणेसाहारं सासणमिस्सरहिएसु वा तित्थं / नोभयसंते मिच्छो अंतमुहूतं भवे तित्थे केवलियनाण दंसण आवरणे बारसाइमकसाया। . मिच्छत्त निद्दपणगं इय वीसं सव्वघाईओ सम्मत्तनाणदंसणचरित्तघाइत्तणाउ घाई। तस्सेस देसघाइत्तणाउ पुण देसघाईउ संजलण नोकसाया चउनाण तिदंसणावरण विग्घा / पणुवीस देसघाई, सेस अघाई सरूवेण / नरतिरिसुराउमुच्चं सायं परघायमायवुज्जोयं / तित्थुस्सासनिम्माणं पणिदिवइरुसहचउरंसं . , तसदस चउवनाई सुरमणुदुग पंचतणु उवंगतिगं / अगुरुलघु पढमखगई बायालीसं ति सुहपयडी थावरदस चउजाई अपढमसंठणखगइसंघयणा / तिरिनरयदुगुवघायं वनचउ नामचउतीसा नरयाउ नीयमस्साय घाइपणयालसहिय बासीइ / असुहपयडीउ दोसु वि वनाइचउक्कगहणेणं // 42 // . // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // 321

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