Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ ठिइबंधज्झवसाया अणुभागा जोगछेअपलिभागा। दोण्ह य समाण समया असंखपक्खेवया दस वि // 144 // पुण वग्गिए तिखुत्तो तम्मि भवे लहु परित्तयाणंतं / तो तत्तिअवाराओ तत्तिअमित्ते ठवसु रासी // 145 // ताणण्णोण्णब्भासे जुत्ताणं तं जहण्णयं भवइ। .. एवइअ अभव्वजिआ रासिम्मि अ वग्गिए तम्मि . // 146 // जायमणंताणंतं जहण्णंयं तं च वग्गसु तिवारं। तह वि परं तं न भवे, तो खिवसु इमे छ पक्खेवे // 147 // सिद्धा निगोअजीवा वणस्सई काल पुग्गला चेव। सव्वमलोगागासं छप्पेएऽणंतपक्खेवा // 148 // पुण तिक्खुत्तो वग्गिअ केवलवरनाणदंसणे खित्ते। भवइ अणंताणंतं ज़िटुं ववहरइ पुण मज्झं अण्णुण्णब्भाससमं वग्गिअसंवग्गिअंतओ केइ / सत्तमअसंखणंते तिवग्गठाणे तमाहु तिहा // 150 // नेअअइगहणयाए निविडजडत्तेण निअमईऍ तहा। जमिहुस्सुत्तं वुत्तं मिच्छा मे दुक्कडं तस्स // 151 // जिणवल्लहगणिलिहियं सुहुमत्थ वियारउवमिणं सुअणा। निसुणंतु मुणंतु सयं परे वि बोहिंतु सोहिंतु . // 152 // // 149 // 330
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