Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 331
________________ नाणंतरायदंसणचउक्कपरघायतित्थमुस्सासं। नामधुवबन्धिनव मिच्छभयदुगंछा अपरियत्ता // 48 // संठाणा संघयणा सरीरुवंगाणि आयवुज्जोया। नामधुवोदय साहार णियर उवघाय परघाया // 49 // उदइयभावा पुग्गलविवागिणो आओ भवविवागीणि / खित्तविवागणुपुव्वी जीवविवागीउ सेसाउ // 50 // . भावा छच्चोवसमिय खइया खउवसम उदय परिणामा। . दु नव द्वारिगवीसा तिग भेया संनिवाओ यं // 51 // सम्मचरणाणि पढमे बीए वरनाणदंसणचरित्ता। तह दाणलाभभोगोवभोगविरियाणि सम्मं च चउनाणनाणतिगं दंसणतिगपंचदांणलद्धीउ / सम्मत्तं चारित्तं च संजमासंजमो तइए / चउगइचउक्कसाया लिंगतिगलेसछक्कमण्णाणं / मिच्छत्तमसिद्धत्तं असंजमो चउत्थभावम्मि // 54 // पंचमगम्मि य भावे जीवाभव्वत्तभव्वयाईणि / . पंचण्ह वि भावाणं भेया एमेव तेवन्ना // 55 // उदइयखओवसमियपरिणामेहिं चउरो गइचउक्के। खइयजुएहिं चउरो तदभावे उवसमजुएहिं इक्किक्को उवसमसेढिसिद्धकेवलिसु एवमविरुद्धा। पन्नरस सन्निवाइअभेया वीसं असंभविणो // 57 // दुगजोगो सिद्धाणं केवलिसंसारियाण तिगजोगो / चउजोगजुगं चउसु वि गईसु मणुयाण पणजोगो // 58 // मोहस्सेवोवसमो खाओवसमो चउण्ह घाईणं। उदयक्खयपरिणामा अट्ठण्ह वि हुंति कम्माणं // 59 // 322

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