Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 324
________________ // 284 // // 285 // // 286 // // 287 // // 288 // // 289 // णिरुवहयं पि हु वक्कंतजीविअं होज्ज किंचि बीयं तु / तं अइसइणो जुज्जइ णिज्जीवमिणंति पाउं जे. अणइसईण पुणाइ णिरुवहयाइं हवंति बीआई। ठिइकालब्भंतरतो घेतव्वाइं सजीवाइं वकंतजीविया पत्थिवादओ संति ण य असत्थहया। जुत्तमजीवा णाउं जह णिरइसयस्स तह बीअं हत्थिणापुरि सोमप्पभपुत्तो सेज्जंस जाइसंभरणं / वसुधारदाणघोसण हवइ य पुष्फोघवासो अ अमयकलसाभिसेओ रस्सिसमुद्धरणजुद्धसाहिज्जं / मंदररविपुरिसाणं सुविणं दिलृ तिहि जणेहि पडिलाभिए जिणवरे रायरिसीए त्ति जिणवरसगासे / सेज्जंसो च्चिय साहइ अट्ठ भवे सामिणां समयं जंबुद्दीवुत्तरकुरुसण (सुर) दंसण मिहुण जाइसंभरणं / तह ईसाणसिरिप्पभविमाणललियंगओ देवो देवी सयप्पभाऽहं सुरज्जइ परिहाणि पुच्छणा कहणं / जंबुद्दीवे अहयं अवरविदेहे अहेसीय विजयम्मि गंधिलावइवेयड्डे दाहिणिलसेढीए। गंधारजणवयम्मी गंधसमिद्धे पुरवरम्मि अइबलपुत्ता सयबलपुत्तो राया महाबलो णाम / संभिन्नसोयमंती सड्ढोऽमच्चो य संबुद्धो नट्टम्मि सयंबुद्धावबोहणं गीयविलइयाईहिं / रसभंग कोव संभिन्नसोय वाए जिओ सो य टिट्टिभि-रयणागर-काक-जंबु-इंगालदाहगाईहिं / अइबलसुरदंसणभद्दसालसंबोहसारणया // 290 // // 291 // // 292 // // 293 // // 294 // // 295 // .. 315

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