Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 327
________________ // 2 // श्रीजिनवल्लभगणिविरचितः ॥सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धारः // सयलंतरारिवीरं, वंदिय वरनाणलोअणं वीरं। वुच्छं जहासुअमहं, कम्माइविआरसारलवं . // 1 // कीरइ जीएण हेऊहिं पयइठिइरसपएसओ जं तं। . मुलुत्तटुअडवनसयप्पभेयं भवे कम्म दसणनाणावरणंतरायमोहाउगोअवेयणियं / नामं च नवपणपणट्ठवीसचउदुदुबियालविहं // 3 // नयणेयरोहि केवलसणआवरणं भवे चउहा। निद्दापयलाहिं छहा निदाइदुरुत्तथीणद्धी // 4 // नाणावरणं मइसुअओहिमणोनाणकेवलावरणं / विग्धं दाणे लाभे भोगुवभोगेसु विरिए अ // 5 // सोलसकसायनवनोकसायदंसणतिगं ति मोहणीयं / नरयतिरिनरसुराऊ नीउच्चं सायमस्सायं // 6 // गइ जाइ तणु उवंगा बंधण संघायणाणि संघयणा / संठाण वण्ण गंध रस फास अणुपुव्वि विहगगई पिंडपयडि त्ति चउदस परघा उज्जोअ आयवुस्सासं / अगुरुलहु तित्थ निमिणो-वघाय मिइ अट्ठ पत्तेया तस बायर पज्जत्तं पत्तेअ थिरं सुभं च सुभगं च सुसराइज्ज जसं तसदसगं थावरदसं तु इमं थावर सुहुम अपज्जं साहारण मथिर मसुभ दुभगाणि। . दूसर णाइज्जा जस मियनामे सेयरा वीसं // 10 // तसचउ थिरछक्कं अथिरछक्क सुहमतिग थावरचउक्कं / सुभगतिगाइविभासा पयडीण तयाइसंखाहिं // 7 // // 8 // // 9 // 318

Loading...

Page Navigation
1 ... 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348