Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 322
________________ // 260 // // 261 // // 262 // // 263 // // 264 // // 265 // तह किर सबीअकाओ समोहओ होज्ज देहदेसे वि / अच्छेज्ज किंचि कालं तो पिट्ठाईणमग्गहणं पच्छित्तं पि य तुल्लं बहुसो बीअहरिओवरोहम्मि। दिण्णं ण य तं जुज्जइ जइ णिज्जीवाइं बीयाइं . आह अणेगंतोऽयं पच्छित्तस मग्गणा सजीवम्मि। जं पलमज्जाईसु वि दीसइ पच्छित्तसाहम्मं भण्णइ मया य दोसा जह मज्जाईसु तह ण बीएसु। दीसंति केइ दोसा सजीवत्तं पमोत्तूणं अहव मई पच्छित्तं अणवत्थावारणत्थमेयं ति। पिट्ठाईणं गहणं ण होज्ज तो सव्वकालं पि होज्जा व काणि वि जइ तव सजीवाई पि सुक्कबीयाई / तो तप्परिहरणत्थं जुज्जेज्ज व सेसपरिहारो जम्हा पुण सव्वाई निज्जीवाई च सुक्कबीयाई। तेणाजुत्तं वज्जणमणवत्थावारणत्थं भो! अहव मइ सुक्कबीए गेण्हंतो मा कयाई णीले वि।। गेण्हेज्ज तं पि तो तप्पसंगविशिवारणमिणंति एवं तो सुक्काणं मूलाईणं पि जुत्तमग्गहणं / / माऽइप्पसंगदोसा सज्जीवाई पि गेण्हेज्जा . को वाऽभिणिवेसो ते जेणेच्छसि जिणमयं सतकाए। ण य जुत्तं तक्काए सव्वण्णुमयं णिसेहेतुं आह फुडं चिय भणियं णणु पण्णवणापए विसेसेउं / जोणीमेत्तं बीयं ण सजीवमिमाए गाहाए जोणिब्भूए बीए जीवो वक्कमइ सो अ अण्णो वा। जो वि य मूले जीवो सो वि अ पत्ते पढमयाए // 266 // // 267 // // 268 // // 269 / / // 270 // // 271 // . 393

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