Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 321
________________ // 248 // // 249 // // 250 // // 251 // // 252 // // 253 // अण्णेसु वि सुत्तेसुं गाउं पि वणप्फईसु णो बीए। आवस्सकाइएसुं भणइ सजीव त्ति सिद्धत्थं . भणिअं पण्णत्तीए बीअजीवाणमाउमुक्कोसं। वासा ति पंच सत्त य सयम्मि फुडमेकवीसम्मि * ण य संवच्छरमच्छंति ताव एकं पि जेण नीलाई। सुक्काण वि सजीवत्तमत्थि तम्हा धुवं सिद्धं आह जहऽग्गाईणं सुक्काणमचेअणत्तणं सिद्धं / सइ वि हु बीयक्काए तहेव सुक्काण बीआणं सुक्का बीआ ण दीसइ विसेसधम्मित्तमंकुरुप्पत्ती। ... ण उ सुक्कग्गाईणं तेण सजीवाइ बीयाई जइ वा णिज्जीवाइं तो किमगम्माई संजयजणस्स। मज्जहिरण्णाईण व न अण्णदोसुब्भवकराई जोणि त्ति परिहरिज्जति अहा मई ण य सजीवदोसाओ। सा वि सजिएयरा वा पुणो वि ते चेव दो दोसा . अहवा तसजोणीणं कुल(फल)गोरसवंजणोदणाईणं / एत्तो परिहारो ते गुरुतरिया जेण तज्जोणी अच्चित्तेयरमीसत्तणम्मि जोणी य जीवणियमो य। सच्चित्तेयरमीसत्तणम्मि जोणी उ सच्चित्ता जोणीमेत्तत्थे वा बीयाणं चेव जुत्तमग्गहणं / दुगुणेक्कछडाणं च तंदुलाणं किमग्गहणं ? कुक्कुसपिट्ठाईणं तह तिगुणुक्कडतंदुलाणं च / किमणिहताणऽग्गहणं पोरिसिकाले अईयम्मि? मोत्तुं देहावयवे जह देहावयवमाणमाविसइ / ' घरकोइलियापुच्छं छिन्नं पत्तेयपत्तं वा 313 // 254 // // 255 // // 256 // // 257 // // 258 // // 259 //

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