Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 311
________________ एवं जंबुद्दीवे व पोक्खरे माणुसुत्तरासन्नं / लक्खेहिं एक्कवीसाए दीसइ समयाइरेगेहि // 128 // चक्खिंदियस्स तम्हा विसयपमाणं जहा सुएऽभिहियं / आउस्सेहपमाणंगुलाणमेक्केण वि ण सझं // 129 // सुत्ताभिप्पाओऽयं पयासणिज्जे .अ न उण अपयासे / आरिसमायंगुलओ अहियं लक्खं ण सेसेहि // 130 // ण सदेहविसेसहिअं इयरा विण्डं न जुज्जए दटुं। जमणेगसहस्सगुणं पेच्छंति णरा सदेहाओ // 131 // संतिजिणस्सुच्चत्तं चत्तालीसं धणूणि भणियाई / सड्डत्तेयालीसं अण्णेहिं पुणो पणीयाई // 132 // णमिसुव्वएसु हरिसेणपउमणामा हवंति दो चक्की / णमिणेमिणो अ मज्झे जयणामो जिणंमए भणिओ || 133 // णमिसुव्वयंतरे पउमणामहरिसेण चक्किणो त्ति दुवे। जयणामा य णमिम्मि अण्णेहिं पकप्पियं एवं .. // 134 // तिण्ह महापउमाईण वीस पण्णरस बारस धणूणि / बावीसवीसचउद्दस धणूणि उच्चत्तमण्णेसिं // 135 // ण विसंवयंति पढमं उच्चत्ताईणि तेण सपमाणं। विघडंति जिणेहिं समं बीयादेसम्मि तो वज्जो // 136 / / बंधिसयबीयभंगो जुज्जइ जइ किण्हपक्खियाईणं / तो सुक्कपक्खियाई पढमे भंगे कहं गेज्झा ? // 137 // पुच्छाणंतरकालं पइ पढमो सुक्कपक्खियाईणं। . इयरेसिं अवसिटुं कालं पइ बीअओ भंगो // 138 // पट्ठवणसए स किण्हु हु समासओ वण्णिओं उ चउब्भंगो। कहव समज्जिणणसए गमणिज्जा अत्थओ भंगा // 139 / / 302

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