Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ पणरस कुलगरत्तणं सामण्णाउ त्ति ते वि संगहिया। . जत्थ दसण्हं सत्तगमणिअत्तं तत्थ तिगमाहू // 20 // तिरियाणं चारित्तं णिवारिअं तो कओ पुणो तेसि / सुव्वइ वहुआणं चिय महव्वयारोवणं समए ? // 21 // ण महव्वयसब्भावे वि चरणपरिणामसंभवो तेसिं / ण बहुगुणाणं पि जओ केवलसंभूइपरिणामो // 22 // सुत्ते चउसमयाओ णत्थि गईओ परा विनिद्दिट्ठा / जुज्जइ उ पंचसमया जीवस्स इमा गई लोए // 23 // जो तमतमविदिसाए समोहओ बंभलोगविदिसाए / उववज्जए गईए सो नियमा पंचसमयाए // 24 // उज्जुया य एगवक्का दुहओवकागई विनिदिट्ठा / जुज्जइ अ तिचउवक्का विणा न चउपंचसमयाए // 25 // उववायाभावाओ ण पंचसमयाउऽहवा न संता वी। भणिया जह चउसमया महल्लबंधे ण संता वि // 26 // निरइंदा तेरस पत्थडाइया अउणपण्ण सव्वग्गा / अण्णे अ सोलसाइं पण्णासग्गा कहं गेज्झा ? . // 27 // दस तिअसहिया एक्काहिया य णव सत्त पंच तिण्णेक्के / नरइंदए कमो खलु ओसरमाणो उ रयणाए . // 28 // सोलस दसट्ठ छप्पंच चेव चत्तारि चेव एक्कोऽयं। * पण्णास पत्थडा खलु सत्तसु पुढवीसु णायव्वा // 29 // जे तेरसादओ किर ते सव्वंति गुरवो पभासंति / बोडिअ विणिग्गया सोलसादओ ते न ते गेज्झा // 30 // सामाइयचुन्नीए उसभस्स धणादओ भवा सत्त। - होन्ति अपिंडिज्जंता बारस वसुदेवचरिअम्मि // 31 // * 293
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