Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 308
________________ // 92 // // 93 // // 94 // // 95 // // 96 // // 97 // संजलणलोहचरिमत्तिभागसंखेज्जभागमेत्तो वि / सत्तावीसोवसमो बायररागस्स किं ण भवे? संजलणाणं वीसु सयरीए उंवसा समक्खाओ / मज्झिमकसायमीसे उईरणाईसु परिकहिओ धुवमणुधावति माया धुवा सयं किंचि बायरत्ते वि / सत्तावीसोवसमे ण तस्स तो संतमेक्को य बंधाइविहाणविचित्तया वि रोगम्मि भेसजोवमया / परिणामविचित्तत्तणभावाओ जुज्जए सव्वे भणियं सुत्ते छिन्नं चोद्दसपुब्विम्मि पढमसंघयणं / तम्मि अ अवट्टमाणे सव्वटुं कह गओ वइरो? न य भणिअमियं वइरो सव्वट्ठमितो न सुत्तणिद्दिटुं। तेण तमनारिस च्चिय फुडं च णाणुत्तरविमाणं एगाई एगन्ता जवमज्झा सत्त तित्थवोच्छेया। अण्णेसि पलितपया एक्केक्कगदुतिदुवेक्केक्का - सुत्ते विन्भंगस्स वि परूविअं ओहिदसणं बहुसो। कीस पुणो पडिसिद्धं कम्मप्पयडीइ पगयम्मि? विन्भंगे वि हु दरिसण सामण्णविसेसविसयतो सुत्ते / तं ता विसिट्ठमणगारमेत्तत्ताऽवहिविभंगाणं कम्मप्पयडी मयं पुण सागारेयरविसेसभावम्मि। * ण विभंगणाणदंसणविसेसणमणिच्छितत्तणेओ संमुच्छिमोरगाणं काओ जोअणपुहुत्तमुक्कोसं / तं च णव जाव भणियं बारस आसालियाकाओ अवगाहणाअवसरे माणं णिद्दिसइ जेण तस्सेव / तो भण्णइ तं मोत्तुं सेसाणं जोअणपुहुत्तं 299 // 98 // // 99 // // 100 // // 101 // // 102 // // 103 //

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