Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ पागारदुवारेसुं, सभासु भवणेसु जं परीमाणं। जं होइ चमरचंचाएँ जं तु वइरोयणसहाए // 307 // तं दुगुणं नायव्वं, सोहम्मीसाणकप्पवासीणं / दो दो बारसहस्सा, एक्केक्काए य बाहाए // 308 // सोहम्मे ईसाणे, बोधव्वा ओवगारिया लेण (णा) / एगं तु सयसहस्सा, विक्कंभायामओ भणियं (या) // 309 // कप्पाण पइट्ठाणं, संठाणविमाणबाहउच्चत्तं / संखेज्जवित्थडा वि य, वण्णे माणे य गंधे य . // 310 // घणउदहिपइट्ठाणा, दोसादिल्लेसु तिसु य घणवाओ। . तीसू य तदुभयम्मि, आगासपइट्ठिया सेसा // 311 // आवलियपविट्ठा बाहिरा य जा उवरिमा उ गेवेज्जा / आवलियपविट्ठा चेवऽणुत्तरा जे विमाणवरा // 312 // तत्थावलियपविट्ठा, वट्टा तंसा तहेव चउरंसा / पुप्फावकिण्णगा. पुण, अणेगविहरूवसंठाणा // 313 // विक्कंभपरिक्खेवे, उवमा देवेहि होइ कायव्वा / जीवा य पुग्गला वक्कमंति ते सासयविमाणा // 314 // सोहम्मे ईसाणे, उच्चत्तं पंच जोयणसयाई / सेसाण वि सव्वेसिं, सयपरिवड्डी' नेयव्वं // 315 // सोहम्मीसाणेसुं, विमाणपुढवीण होइ बाहल्लं / सत्तावीस सयाई, सयपरिहीणा य सेसेसुं // 316 // सव्वे वि विमाणा खलु, संखमसंखेज्जवित्थडा होति / .. नवरं अणुत्तरेसुं, एगे संखेज्जविच्छिन्ने // 317 // पढमेसु पंचवण्णा, एक्कगहाणी उ जा सहस्सारो / दो दो कप्पा तुल्ला, तेण परं पोंडरीयाई // 318 // 302
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