Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 354
________________ // 107 // // 108 // // 109 // // 110 // // 111 // छम्मासियम्मि थोवा, समए एक्कम्मि होंति संखेज्जा / एवं अंतरसिद्धा, णिरंतराणं कमो इणमो अट्ठसमयम्मि थोवा, संखेज्जगुणा य सत्तसमए उ। एवं परिहायंते, जाव पुणो दोण्णि समया उ अट्ठसयसिद्ध थोवा, सत्तहियसया अणंतगुणियाओ। एवं परिहायंते, सपयाओ जाव पण्णासं तत्तो पण्णासाओ, असंखगुणिया उ जाव पणुवीसं / पणुवीसा आरद्धा, संखगुणा होति एगंता उत्ताणग पासेल्लग, णिकुज्ज वीरासणे य उक्कुडुए / उद्धट्ठिय ओमंथिय, संखेज्जगुणेण हीणाए एत्तो य सण्णिगासों, दारेसु जहक्कमेण विण्णेओ / संजोगसण्णिगासो, पडुच्चसंबंध एगट्ठा दुविहो उ सण्णिगासो, सट्ठाणे चेव तह परहाणे / पुरिसाणं सट्ठाणं, परठाणं होइ सरिसाणं दट्ठणं अट्ठसयं, सेसपयाणं तु चअहँ हियलद्धं / बहुयाइहाणिसेसा, कमेणिमेणं तु णायव्वा पढमे भागे संखा, असंख बिइए अणंत तइयाइ / बिपए बहुसंखेज्जा, संखेज्जविवज्जिय चउक्के खेताइएसु एवं, णेयं काले वि लक्खणं इणंमो / इक्कगमाई काला, चउतिगदुगसमयभागकमा एसो य होइ सेढी, दुविहा खेत्ताइएसु दारेसु / ता वि जहसंभवेणं, अट्ठसु वि हवंति विण्णेया ऊणाहियविवरीओ, अत्थो अप्पागमेण जो गहिओ। तं खमिऊण सुयहरा, पुण्णेऊणं परिकहंतु 345 // 113 // // 114 // // 115 // // 116 // // 117 // // 118 //

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