Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 8 // आयामपरिक्खेवो ताणं अस्संखजोयणसहस्सा / संखिज्जसहस्सा पुण विक्खंभो होइ एयाणं ईसाणदिसाईसुं एयाणं अंतरेसु अट्ठसु वि / अद्वैव विमाणाई तेसिं नामाई एयाइं अच्चिच्च अच्चिमालि य वयरोचण नामयं च बंभकरं / चंदाभं सुक्काभं सूराभं सुप्पइठ्ठाभं ' // 10 // तेसु सुरसंख सगसय घउदसहस्स 14000 सगसहस्स 7 जुयलतिगे। सेसतिगे नवसय ते सव्वे ख०ख०छ६ 'दुरदुरसंखा२२६०० // 11 // अडसागरट्टिईया लोगंतिय जीयकप्पिया देवा / / सत्तट्ठभवग्गहणा इमेहिं नामेहि गिझंति // 12 // सारस्सयमाइच्चा वण्ही वरुणा य गद्दतोया य। तुसिया अव्वाबाहा अग्गिच्चा मज्झि रिहा य / एए देवनिकाया जिणवयसमए समागया झत्ति / भत्तिभरनिब्भरंगा थुणंति एयाहि वाणीहिं // 14 // जय नंदा जय भद्दा ! खत्तियवरवसभ ! जय जय जिणंद ! / .. सव्वजगजीवहिययं भयवं ! तित्थं पवत्तेह // 15 // तत्तो वयगहणमणा जिणनाहा तिगचउक्कमाईसुं। वरवरियं घोसाविय दिति य संवच्छरं दाणं // 16 // दिणि दिणि दिति जिणा कणगकोडि अड लक्ख पायरासं जा। तं कोडितिसय अडसी असीइ लक्खा हवइ वरिसे // 17 // इय दाउं गहियवया विहियतवा लद्धकेवला सिद्धा। . जे अरिहंता ते मज्झ दितु जयसेहरं ठाणं // 18 // 348

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