Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ // 367 // // 368 // // 369 // // 370 // // 371 // // 372 // पंचुत्तरिया वड्डी, नवरि विभासेत्थ पत्थडे तइए। भागेहिँ तओ करणं, तं चेव य जाव सत्तयरा . सत्तयराइं जहण्णा, पढमे पयरम्मि बंभलोगस्स / उकोसा सत्ततरा, तिण्णि य छब्भाग णिट्ठिा एवं तिगवड्डीए, बिइयाओ आरभेत्तु भागेहिं / करणं ता नेयव्वं, दस अयरा जाव छ?म्मि दस अयराइँ जहण्णा, पढमे पयरम्मि लंतगस्स ठिती / उक्कोसा दस अयरा, चत्तारि य पंचभागा उ चउरुत्तरिया वुड्डी, बितियाओ आरभेत्तु भागेहिं / करणं ता णेयव्वं, चोद्दस अयराइँ पंचमए चोद्दस अयर जहण्णा, पढमे पयरम्मि ठिइ महासुक्के / ते चेव उ उक्कोसा, तिण्णि चउरभाग अण्णे उ एवं तिगवुड्डीए, बितियाओ आरभेत्तु भागेहिं / / करणं ता नेयव्वं, सत्तरसयरा चउत्थम्मि सत्तरस जहण्णा उ, पढमे पयरम्मि ठिइ सहस्सारे / ताई चिय उक्कोसा, चउत्थभागो मुणेयव्वो एगुत्तरवुड्डीए, नेयव्वं जा चंउत्थयं पयरं। अट्ठारस अयराइं, ठिइ उक्कोसा चउत्थम्मि चउपयरा णायव्वा, कप्पा चत्तारि आणयाईया / 'अट्ठार जहण्णाई भागुत्तरखुड्डि फलमाह गुणवीसा संपुण्णा, इगवीस ठियाहिया जहाकमसो / नवपयरा भागुत्तरवुड्डी, जा उवरिगेवेज्जा देविंदयाण लेसो, गुरूहिँ मयरागरोसरहिएहिं / कहिओ घेत्तव्वो पुण, हासाईविकहरहिएहिँ // 373 // // 374 // // 375 // // 376 // // 377 // // 378 // .. .. 307
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