Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ अपज दुहा पज लहुतणु, सव्वत्थ वि मुच्छनरलहुगुरू वि / अपरित्तिगिदिपजतणु, गुरू वि अंगुलअसंखंसो // 12 // सुहुमापज्जनिगोए, लहुंतणु अंगुलअसंखभागि तओ / नवसु असंखगुणासुहुम अपजपवणग्गिजलमहिसु // 13 // थूलअपजानिलानल-जलभूऽणतेसु तस्समपरिते / सुहुमनिगोए पजलहु-असंखअपजपजगुरु अहिआ // 14 // सुहुमानिलपजलहुतणु-अपजपजुक्कोसतणु विसेसहिआ / सुटुमग्गिपज्जलहुतणु, असंखअपजपजगुरुअहिआ // 15 // इह सुहुमजले तह सुहुमपुढविथूलानिले अ थूलग्गी / थूलजले थूलमही, थूलनिगोएं अ तणुमाणं // 16 // पत्तेअपज्जलहुतणु, अपज्जगुरुतणु कमा असंखगुणा / चउयइ लहु विउवुत्तर, अंगुलसंखं समारंभे // 17 // इअ तणुअतणू तणुठिइ, अहलगया बहुसपहुससेवाए / - तह सहलीकुरु अहुणा, जह होमि दुहा वि अतणुठिई // 18 // // 1 // श्रीतपोगच्छनायकश्रीमत्कुलमण्डनसूरिकृतम् ॥कायस्थितिस्तोत्रम् // , जह तुह दंसणरहिओ, कायठिईभीसणे भवारने / भमिओ भवभयभंजण, जिणिंद तह विनविस्सामि अव्यवहारियमझे, भमिऊण अणंतपुग्गलपट्टे / कह वि ववहाररासिं, संपत्तो नाह तत्थ वि य उकोसं तिरियगई, असन्निएगिदिवणनपुंसेसु / भमिओ आवलियअसं-खभागसम पुग्गलपरट्टा . 300 // 2 //

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