Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

Previous | Next

Page 317
________________ पू.आ.श्रीधर्मघोषसूरि विरचितः // देहस्थितिस्तवः // देविंदमहिअ सामिअ, वरविज्जाणंदधम्मकित्ति मह / ' अवधारय जह भमिओ, अफलतणू जिणअसेवाए // 1 // ईसाणंतसुरेसु अ, सगहत्थतणू इकिक्क हाणि तओ। चउछअडबारसमकप्पुवरिमगेविज्जसव्वढे // 2 // गुरुलहुठिईइ विवरे, इगउणिएगारभत्तिगारंऽसे / पुव्वतणूचयठिअसेसिगाहिहाणि पइअयर तणू तिगअडपनरिगुणीसतेवीस दुतीसाइसागराउतणू / . छकराइ कमूणा चउ, छति त्तिगऽट्ठिगइगारंसा सत्तधणुतिकरछंगुल-रयणाइतणू अहो दुदुगुणातो। उवरि गुरू हिट्टि लहू, तिकराईए पंढमपयरे विअपयराइ करंगुल-दुसङ्कअड तितिग सगगुणीसद्धं / वीसा वीस विसट्ठी बार खिवे करदुसयपन्ना .. लहु सुज्झनिरयतणुठिइ, इगूणनियपयरभइअलद्धं वा / बिअपयराइसु वुड्डी, पयरगुणा लहुआ जिट्ठा जोअण बार बिइंदिअ, पजसंख तिइंदि गुम्मि कोसतिगं / / चउरिदि भमरु जोअण, सनिअरखगा धणुपुहत्तं . // 8 // गब्भभुयमुच्छचउपय, कोसपहुत्तियरचउपय छक्कोसा / मच्छुरगभुअग जोअणपुहुत्त गब्भयनर तिकोसा सनिअरमच्छगब्भय-उरगा जोअणसहस्स तरु अहिअं / कोसपुहुत्तं तिरिए, तणूत्तरविउव्वि उक्कोसा // 10 // निरय गुरु सतणुदुगुणा, दुहा वि अंगुलअसंखभागऽनिले / गेविज्जणुत्तर विणा, गुरु जोअण लक्खसुरनरए' 308 // 7 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366