Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 329
________________ पुव्वुत्तेणं मज्झिमभंगेणं माणुसाण जं माणं / तेण सयमेव गेहेसु होइ लोगो ठवेअव्वो . // 56 // जा पुण चउत्थभागो नयरधणूणं गिहेसु नो खित्तो। . सो गिहभित्तीअंगणरत्थानिवमग्गजोग्ग त्ति - // 57 // बत्तीससहस्सा नाडयाण अंतेउरस्स चउसट्ठी। रायवरभवणअंतो भरहेण समं चिय वसंति एअं इमं च भणि पन्नत्तीए उ जंबूदीवस्स / चत्तारि वि सेणाओ नयरीमज्झे न पविसंति चक्किभवणप्पमाणं ववहारे भासियं फुडं एअं / तह केसवाण राईण पागयाणं च लोगाणं // 60 // चक्कीणं अट्ठसयं चउसट्ठी होई वासुदेवाणं / ' बत्तीस मंडलीए सोलस हत्था उ पांगईए // 61 // एगतलेसु गिहेसुं एअं बत्तीसतलगिहाईसु / मायंति तदणुसारेण जे पुणों ते अणेगगुणा // 62 // एगेगाए पागरवीहिगाए अणेगबाराई। जं हुंति तव्वसाओ पायारपुराई णेगाई // 63 // तत्तो तहाविहो कोइ नत्थि बज्झाण अंतरंगाणं / गेहाणित्थ विसेसो एवं किं माइ नो तत्थ // 64 // जुअलुप्पन्नो तयणंतरो वि पाएण भरहखित्तम्मि / लोगो तो माइ बहू पुरेसु गामेसु नेअव्वो // 65 // लेसुद्देसेणेवं संमायतम्मि चक्किपरिवारे / कहमन्नहा सुअत्थो बुहेण तीरइ परूवेउं // 66 // जइ पुण सहस्सगुणिए चउसयगुणिए व कस्सई तोसो / तो सो तहा वि कुज्जा परं विरोहं परिहरिज्जा . // 67 // 30

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