Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ धणुसयनवअडसगसड्ढ छ छसड्ढपणपणपणीसुच्चा / कुलगरपिया वि कुलगर-समाउदेहा पिअंगुनिभा // 20 // सविमलवाहणचक्खुमनसमं, अभिचंदओ पसेणइआ / मारुदेव नाभिकुलगर, तियअरगंते उसहभरहो // 21 // चउत्थे अजिआइजिणा, तेवीस इगार चक्कि तहिं सगरो / मघव सणंकुमर संती, कुंथु अर सुभूम महपउमा हरिसेणजओ बंभु त्ति नव बला अयल विजय भद्दा य / सुप्पह सुदंसणाणंद, नंदणा रामबल भद्दा // 23 // विण्हु तिविट्ठ दुविठू य, सयंभु पुरिसुत्तमे पुरिससीहे। तह पुरिसपुंडरीए, दत्ते लक्खमण कण्हे अ // 24 // आसग्गीवे तारय, मेरय महुकेटभे निसुंभे अ। बली पहराए रावण, जरसिंधू नव पडिहरि त्ति / एवं जिणचउवीसं, चक्की बार नव बल हरी तयरी / नव नारएहिं बिसयरि, सिलागपुरिसा तह इहाई // 26 // नर पुव्वकोडिआऊ, पंचसय धणुच्च सनयववहारा / पुव्वं च वासकोडी, सत्तरिलक्खा छपनसहसा // 27 // अट्ठजवमज्झमुस्सेह-मंगुलं ते उ हत्थि चउवीसं / चउकरधणुदु सहस-कोसो कोसचउ जोयणयं // 28 // दु दु तिगं कुलगरनीई, हमधिक्कारा तओ विभासाई / चउहा सामाईया, बहुहा लेहाइववहारो // 29 // गुणनवइ पक्खसेसे, इह वीरो निव्वुओ चउत्थारे / उस्सप्पिणितइयारे, गए उ एवं पउमजम्मो // 30 // कालदुगे तिचउत्था-रगेसु एगूणनवइपक्खेसु / सेस गएसु सिझंति, हुंति पढमंतिमजिणिंदा // 31 // 323
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