Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 346
________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // दुविहो णओ उ भणिओ, पच्चुप्पण्णो य पुव्वभावो य / दुविहो पुण एक्वेक्को, आइल्लेसुं तिसुं पगयं पच्चुप्पण्णो दुविहो, संववहारो य णिच्छओ चेव / दुविहो य पुव्वभावे, अणंतर परंपरो चेव खेत्तगई आयभावे, सिद्धगई चेव होति णिच्छइए / कालंतरमणुसमयं, वेदादिचउक्करहितो य बुद्धे णाणोगाहण, अप्पडिवडितो य आयभावे त्ति / णिच्छय पढमणयस्स य, अंतपया दोण्णि चउसुं पि बितियततिएहिं एत्तो, णएहिं खेत्ताइमग्गणा भणिया / संखेवे वित्थारे, जो य विसेसो स विण्णेओ पगयं पच्चुप्पण्णे-णण्णतरेणं च पुव्वभावेणं / . जम्हा सव्वे भावा, परंपरते समणुभूया जत्थ ण वि भूयपुव्वं, ठाणणिसीयणतुयट्टणं वा. वि / तत्थ उ चरिमसरीरो, ण भूयपुव्वो भविस्सो वा एएसुंण वि खमणा, उवसमणा सव्वणाणलंभो वा। ण वि को वि वीयरागं, खतगं वा तहिं णेइ समणि अवगयवेयं, परिहार पुलाग अप्पमत्तं वा। चोद्दसपुव्विं आहा-रगं च ण वि कोइ संहरइ खेत्ते. उ उड्डलोए, तिरिए य अहे य तिविहलोए वि / तिरिए वासेहरेसुं, दीवेसुं तहा समुद्देसु . दीवसमुद्देसड्ढाइएसु वाघायखेत्तओ सिद्धा / णिव्वाघाएण पुणो, पण्णरससु कम्मभूमीसु तक्कालो तयकालो, तक्कालोसप्पिणीइ तिविहो उ। तयकालो ओसप्पिणि, उस्सप्पिणि सव्वलोए वि // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // 337

Loading...

Page Navigation
1 ... 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366