Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 324
________________ // 9 // // 10 // अनुभागबन्धहेतून, समस्तलोकाभ्रदेशपरिसङ्ख्यान् / नियतः क्रमोत्कमाभ्यां, भावे स्थूलस्तदावतः प्राङ्मरणैः सर्वेषामपि, तेषां यः क्रमेण संश्लेषः / भावे सूक्ष्मः सोऽभूत्, जिनेश ! विश्वत्रयाधीश ! नानापुद्गलपुद्गलावलिपरावर्ताननन्तानहं, पूरं पूरमियच्चिरं कियदशं बाढं दृढं नोढवान् / दृष्ट्वा दृष्टचरं भवन्तमधुना भक्त्यार्थयामि प्रभो !, तस्मान्मोचय रोचय स्वचरणं श्रेय:श्रियं प्रापय // 11 // .. श्रीमन्मुनिचन्द्र // 2 // // 3 // श्रीमन्मुनिचन्द्रसूरिविरचिता ॥अंगुलसत्तरी // उसभसमगमणमुसभजिणमणिमिससांमिसंथुअगुणोहं / नमिऊणंगुललक्खणं संखेवमिणं पवक्खामि उस्सेहंगुलमायंगुलं च तइयं पमाणनामं च / / इय तिन्नि अंगुलाई वावारिज्जति समयम्मि परमाणूइच्चाइक्कमेण उस्सेहअंगुलं भणियं / जं पुण मायंगुलमेरिसेणं तं भासियं विहिणा . जे जम्मि जुगे पुरिसा अट्ठसयांगुलसमूच्छिया हुन्ति / तेसिं जं नियमंगुलमायंगुलमित्थ तं होइ जे पुण:एय पमाणं ऊणा अहिया व तेसिमेयं तु / आयंगुलं न भण्णइ किंतु तदाभासमेव त्ति जं भरहस्सायंगुलमेयं तु पमाणअंगुलं होइ / उस्सेहंगुलचंउसयमाणा सूई इहं भणिया एगंगुलबाहुल्लं अड्ढाइयमंगुलाई तं पिहुलं / एवं च खित्तगणिए उस्सेहंगुलसहस्सं तं / // 4 // // 7 // . 315

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