Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // // 25 तह बारवई नयरी अहवा उज्झाउरी य जा तासि / धणयसुरनिम्मियत्तेपण किल पमाणं समाणं ति . सहसगुणेऽसीलक्खा कोडीओ जोयणाण दस हुंति / चउसयगुणणे कोडीलक्ख बिसत्तरि अस्सी सहसा एयं च पुण पमाणं पिहुला नव जोयणाणि नयरीओ। बारस दीहा तत्तो दुण्हं अंकाणमन्नुन्नं गुणणे अट्ठहियसयं जायंतो एग जोयणगएण / गणियपएणं गुणिए पुव्वुत्तेणं इमम्मि भवे एयं च अइपभूयं नगरपमाणं न जुज्जए जम्हा / तम्हा पमाणअंगुल विक्खंभपमाणओ गिज्ज तह कूणियस्स रन्नो साहियदक्खिणदिसस्स वेअड्ढे / परिमियजीविअकालस्स जुज्जए कह णु गमणं ति . गंधारसावयस्स वि वेयड्ढगुहाई चेइए नमिउं / कह वीभयम्मि चेइयवंदणहेउं ग़मो हुज्जा जं पुण भणंति भरहाइचक्किणो परिगरो कहंमाई / एवमिणिज्जते भारहम्मि भन्नइ न सो दोसो जं भरह खित्तपयरं बासीया छस्सया असी सहसा / तेवन्नं वि य लक्खा जोयण माणेण सिद्धमिणं दाहिणउत्तरभरहद्धविजयगिरिपयरमीलणे एयं / / संपज्जइ जं दीसइ खित्तसमासम्मि इयं वुर्त लक्खट्ठारस पणतीससहस्सा चउसया य पणसीआ / बारस कला छविकला दाहिणभरहद्धपयरं तु सत्तहिया तिन्निसया बारस य सहस्स पंच लक्खा य / बारस कला उ पयरं वेअड्डगिरिस्स धरणितले // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // 317
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