Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 13
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 323
________________ तह थोवाइसु नेया, नियनियखुड्डगा तहेव, सेसंसा / एगभवावलिगुणिया, हरिया वि य नियनियावलिया // 24 // खुड्डागावलिआणं, जं कि पि सरूव नणु मए भणियं / तं जइ अन्नहभूयं, सोहेयव्वं सुयहरेहि ... // 25 // // 3 // . 'श्री पूर्वाचार्यप्रणीतम् ॥पुद्गलपरावर्तस्तवनम् // . श्रीवीतराग ! भगवंस्तव समयालोकनं विनाऽभूवन् / . द्रव्ये क्षेत्रे काले, भावे मे पुद्गलावर्ताः मोहप्ररोहरोहान्नट इव भवरङ्गसंगतः स्वामिन् ! / कालमनन्तानन्तं, भ्रान्तः षट्कायकृतकायः . // 2 // औदारिकवैक्रियतैजसभाषाप्राणचित्तकर्मतया / सर्वाणुपरिणतेमें, स्थूलोऽभूत्पुद्गलावतः तत्सप्तकैककेन च, समस्तपरमाणुपरिणतेर्यस्य / संसारे संसरतः, सूक्ष्मो मे जिन ! तदावर्त्तः निश्शेषलोकदेशान्, भवे भवे पूर्वसम्भवैर्मरणैः / स्पृशतः क्रमोत्क्रमाभ्यां, क्षेत्रे स्थूलस्तदावतः प्राग्मृत्युभिः क्रमेण च, लोकाकाशप्रदेशसंस्पर्शः / मम योऽजनि स स्वामिन् ! क्षेत्रे सूक्ष्मस्तदावत: मम कालचक्रसमयान, संस्पृशतोऽतीतमृत्युभिर्नाथ ! / . अक्रमतः क्रमतश्च स्थूलः काले तदावतः क्रमतस्तानेव समयान्, प्राग्भूतैर्मृत्युभिः प्रभूतैर्मे / संस्पृशतः सूक्ष्मोऽर्हन् !, कालगतः पुद्गलावतः // 8 // // 4 // // // // 7 // 14

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