Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 266
________________ आदेशसाधुश्रावक-व्रतोपकरणचरणतत्त्वानाम् / सामायिकप्रतिक्रमणा-नामेव संख्या च निशिभक्तम् // 15 // ठिइ 135 अडिइकप्पो 136 क-प्पसोहि 137 आवस्सयं 138 मुणिसरूवं 139 / संजम 140 धम्मपभेया 141, तहेव वत्थाण वनाई 142 // 16 // स्थित्यस्थितिकल्पः कल्प-विशोधिरावश्यकं मुनिस्वरूपम् / संयमधर्मप्रभेदा-स्तथैव वस्त्रस्य वर्णादि // 16 // गिहि 143 वय 144 केवलिकालो 145, सव्वाउं 145 तह य मुक्खमासाई 147 / उडु 148 रासि 149 ठाण 150 आसण. 151, ओगाहण 152 तव 153 परीवारा 154 // 17 // गृहिव्रतकेवलिकालः, सर्वायुस्तथा च मोक्षमासादिः / उडुराशिस्थानासन-वगाहनातपःपरीवाराः // 17 // वेला 155 अर 156 तस्सेंसं 157, तह जुग 158 परिआयअंतगडभूमी 159 / मुक्खपह 160 मुक्खविणया 161, पुव्वपवित्ती य 162 तच्छेओ 163 // 18 // वेलाऽरतच्छेषं, तथायुगपर्यायान्तकृद्भूमिः / मोक्षपथमोक्षविनयाः, पूर्वप्रवृत्तिश्च तच्छेदः // 18 // . . सेससुयपवित्तं 164 तर 165, जिणजीवा 166 रुद्द 167 दरिसण 168 च्छेरा 169 / तित्थे उत्तमपुरिसा 170, सतरिसयं होंति जिणठाणा // 19 // . .

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