Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir
________________ ( 57 ) सट्टि 12 पणपन्न 13 पन्न 14 पणयाला 15 // तेआला 16 बत्तीसा 17, दुवीसवातो. अडवीसं 18 // 248 // बावीस 19 ठार 20 सोलस 21, पणरस 22 दस 13 सगसयाइँ केवलिणो / सव्वग्गमेगलक्खो, छहत्तरीसहससयमेगं // 249 // - ऋषभस्य विंशतिसहस्राणि, विशति-विंशतिर्वाप्यजितस्य / पञ्चदश चतुर्दश त्रयोदश, द्वादशैकादश दश ततश्च // 247 // पञ्चसप्ततिस्सप्ततिः पञ्चषष्टिः, षष्टिः पञ्चपञ्चाशत्पञ्चाशत्पञ्च चत्वारिंशत् / त्रिचत्वारिंशद्वात्रिंशद् , द्वाविंशतिर्वाऽष्टाविंशतिः // 248 // द्वाविंशत्यष्टादश षोडश-पञ्चदश दश सप्तशतानि केबलिनः / सर्वाग्रमेकं लक्षं, षट्सप्ततिसहस्राणि शतमेकं // 249 // मणनाणि बारसहसा, सड्डसग सयाइँ सड्ढ छसया वा // तत्तोबारससहसा, पणसयपंचसयसड्ढा वा / / 250 // बारसहस सड्ढसयं 3, एगारससहस छसयपंचासा 4 // दशसहस सड्ढ चउसय 5, तो दससहसा य तिन्नि सया 6 // 251 // सड्डा इगनवइसया 7, असीइ 8 पन्नत्तरीइ 9 पणसयरी 10 // सट्ठी 11 सट्ठी 12 पणप-न 13 पन्न 14 पणयाल 15 ‘चत्तसया 16 // 252 // चत्तहिय तितीससया 17, इगवअहिया य पंचवीससया 18 // सड्ढसतरसय 19 पनरस 20, बास्स पनहिय सट्ठीवा 21 // 253 // दश 22 सड्ढसत्त 23 पणसय 24, सो मणनाणि एग लक्खा य // पणयालीससहस्सा, पंचसया इगनवइअहिया // 264 //
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