Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 336
________________ ( 75 ) कोडि सहस बबइ 5 नव 6 // अयरनवकोडिसय 7, नवइकोडि 8 नवकोडि 9 इग कोडी // 330 // अयरसयवरिसछावहि, लक्खछवीस सहस ऊण परं / / 10 / चउपन 11 तीस 12 नव 13 चउ 14, तिअअयरापउणपलिऊणा 15 // 331 // पलि अद्धं 16 कोडि सह-स्स वरिस ऊणोय पलिअ चउभागो 17 // वरिसाण कोडि सहसो 28, लक्खा चउपन्न 19 छ 20 प्पंच 21 // 332 // पउण चुलसीइ सहसा 22, अड्डाइ सयत्ति 23 अंतर तिवीसे // 24 // अयरेगकोडि कोडि, बायाल सहस्सवरिसूणा // 333 // - जन्मतो जन्म जन्मतः, शिवं शिवाजन्म मोक्षतो मोक्षः / इति चत्वारि जिनान्तरा-ण्यत्र चतुर्थं तु ज्ञातव्यम् / / 329 // अत्रपञ्चाशत् 1 त्रिंशद् 2 दश 3 नव 4, कोटिलक्ष कोटिसहस्रनवतिनव // सागरनवकोटिशतं, नवति कोटिर्नव काटिरेककोटी // 330 // सांगरशतवर्ष षट् षष्टि-लक्ष षड्विंशतिसहस्रोना परं // चतुःपञ्चाशत् 11. त्रिंशद् 12 नव 13 चतु-स्त्रयसागराः पादोनपल्योनाः 15 // 331 // पल्याड़ 16 कोटिसहस्र-वर्षोनो यः पल्यश्चतुर्थभागः / 17 वर्षाणां कोटिसहस्राणि 18, लक्ष चतुः पञ्चाशत् 19 षट् 20 पश्च 21 // 332 // पादोनचतुरशीतिसहस्राणि, सार्द्धद्विशतमित्यन्तरं त्रयोविंशतः॥ सागरैककोटाकोटी, द्विचत्वारिंशत्सहस्रवर्षोना // 333 // उसहे मरीइपमुहा, सिरिवम्म निवाइया सुपासजिणे // . हरिसेणं विस्सभूई, सीयल तित्थंमि जिणजीवा // 334 //

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