Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 317
________________ .. लक्खा पण 1 पण 2 छच्चय, तिसु पंचय नवसु चउर नवसु तिगं / सड्ढीण कमा तदुवरि, सहसा चउपन्न 1 पणयाला 2 // 243 // छत्तीस 3 सत्तवीसा 4, सोलस 5 पण 6 तिनवईअ 7 इगनवई 8 / इगहत्तरि 9 अडवन्ना 10, अडयाल 11 छत्तीस 12 चउवीसा 13 // 244 // चउदस 14 तेरस 15 तिनवइ 16, एगासीई 17 बिसत्तरी 18 सयरी 19 / / पन्न 20 डयाल 21 छतीसा 22, गुणयाल 23 हारस 24 सहस्सा / / 245 // लक्षाः पञ्च पञ्चषट् च, त्रिषु पञ्च नवसु चत्वारि नवसु त्रीणि / / श्राद्धीनां क्रमात्तदुपरि, सहस्राणि चतुष्पञ्चाशत् पञ्चचत्वारिंशत् // 243 // षट्त्रिंशत् सप्तविंशतिः, षोडष पञ्चत्रिनवतिश्चैकनवतिः। एकसप्ततिरष्टपञ्चाश-दष्टचत्वारिंशत् चतुर्विशतिः / / 244 // चतुदेश त्रयोदशत्रिनवति-रेकाशीतिर्द्विसप्ततिः सप्ततिः॥पञ्चाशदष्टचत्वारिंशत् षट्त्रिंश-देकोनचत्वारिंशदष्टादश सहस्राणि // 245 // पणपन्नलक्ख अडया-लीससहस्सा य सावया सवे / इगकोडी पण लक्खा, अडतीस सहस्ससड्डीओ // 246 // पश्चपञ्चाशल्लक्षाण्यष्ट-चत्वारिंशत्सहस्राणि श्राद्धाः सर्वे / एककोटीपञ्च लक्षा–ण्यष्टत्रिंशत्सहस्राणि श्राद्धयः // 246 // उसहस्सवीससहसा 1, वीसंबावीस वावि अजिअस्स 2 पनरस 3 चउदस 4 तेरस 5, बारसि 6 द्वारसदस 7 दस 8 तओअ॥२४७॥ पणसयरि 9 सयरि 10 षणस-ट्टि 11

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