Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 331
________________ ( 70 ) कसिणामग्गइगारसि, फग्गुण भद्दवय सत्तमी किण्हा / भद्दवयसुद्धनवमी, वइसाहे बहुलबीया अ. // 307 // कसिणा सावण तइया, आसाढे तहय चउदसी सुद्धा // आसाढकसिणसत्तमि, सिअपंचमिचित्तजिटेसु // 308 // जिढेकसिणातेरसि, वइसाहेपडिव मग्गसिअदसमी // फग्गुणसुद्ध दुबालसि, किण्हा नवमीअ जिट्ठस्स // 309 // वइसाहअसिअ दसमी, आंसाढे सावणेऽट्ठमी सुद्धा / कत्तियमावसि सिवमा-समाइ भणिआ जिणिंदाणं // 310 // माघस्य कृष्णत्रयोदशी, द्वयोः सितचैत्रपञ्चमी ज्ञेया / वैशाखशुद्धाऽष्टमी, तथा चैत्रे शुद्धनवमी च // 306 // कृष्णा मार्गकादशी, फाल्गुनभाद्रपदसप्तमी कृष्णा / भाद्रपदशुद्धनवमी, वैशाखे बहुलद्वितीया च // 307 / / कृष्णा श्रावणतृतीया, आषाढे तथा च चतुर्दशी शुद्धा // आषाढकृष्णसप्तमी, सितपञ्चमी चैत्रज्येष्ठयोः // 308 // जेष्ठेकृष्णत्रयोदशी, वैशाखे प्रतिपद् मार्गसितदशमी // फाल्गुनशुद्धद्वादशी, कृष्णा नवमी च ज्येष्ठस्य // 309 // वैशाखेऽसितदशमी, आषाढे श्रावणेऽष्टमी शुद्धा / कार्तिकाऽमावास्या शिवमा-सादयो भणिता जिनेन्द्राणाम्।।३१०॥ अभिई 1 मिगसिर 2 अद्दा 3, पुस्स 4 पुणव्वसुअ५ चित्त 6 अणुराहा 7, जिट्ठा 8 मूलं 9 पुव्वा-साढा 10

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