Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 303
________________ सिअचित्ततइअ कत्तिअ-बारसि एगारसि अ मग्गसिरे / फग्गुणबारसि सामा, मग्गंमि इगारसी विमला // 182 // आसोअमावसी चि-त्तबहुलचउत्थि विसाहसिअदसमी। केवलमासाइ इमे, भणिया पुत्वं व उडुरासी // 183 // फाल्गुनकृष्णैकादशी, शुद्धकादशी च पौषस्य / कार्तिकबहुला पञ्चभी, पौषस्य चतुर्दशी धवला // 179 // चैत्रैकादशी पूर्णिमा, तथा फाल्गुनकृष्णषष्ठी सप्तमिका / कार्तिकशुद्धतृतीया, पौषस्य चतुर्दशी. बहुला // 180 // माघेऽमावास्या सितद्वितीया, पौषे मासे धवलषष्ठी / वैशाखश्यामचतुर्दशी, पौषे पूर्णिमा शुद्धनवमी // 181 // श्वेता चैत्रतृतीया कार्तिक-द्वादश्येकादशी च मार्गशीर्षे / फाल्गुनश्यामा द्वादशी, मार्ग एकादशी विमला // 182 // आश्विनामावस्या चैत्र-बहुलचतुर्थी वैशाखसितदशमी / केवलमासादय इमे, भणिताः पूर्वमिवोडुराशयः // 183 // वीरोसहनेमीणं, जंभिअबहि पुरिमताल उजिते / केवलनाणुप्पत्ती, सेसाणं जम्मठाणेसु // 184 // वीरर्षभनेमीनां, जंभिकाबहिः पुरिमतालउज्जयन्ते / केवलज्ञानोत्पत्तिः, शेषाणां जन्मस्थानेषु // 184 // उसहस्स य सगडमुहे, उजुवालिअनइतडंमि वीरस्स / सेसजिणाणं नाणं, उप्पन्नं पुण वयवणेसु // 185 / /

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