Book Title: Saptatishatsthanprakaranam
Author(s): Somtilaksuri, Ruddhisagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir
________________ . ( 45 ) न य आहारनिहारा, अइसयरहिआण जंति दिद्विपहे / सासो अ कमलगंधो, इअ जम्मा अइसया चउरो / 195 / न च आहारनिहारा-वतिशयरहितानां यातोदृष्टिपथे / श्वासश्च कमलगन्ध-एते जन्मनोऽतिशयाश्चत्वारः // 195 / / तिरिनरसुराण कोडा-कोडीओ मिति जोयणमहीए / सव्वसभासाणुगया, वाणी भामंडलं पिट्टे // 196 // तिर्यग्नरसुराणां, कोटाकोट्योमान्ति योजनमह्याम् / सर्वेषां भाषानुगता, वाणी भामण्डलं पृष्ठे // 196 // रुयवइरईइमारी, डमरदुभिक्खं अवुट्टिअइबुट्ठी / / जोयणसए सवाए, न हुंति इअ कम्मखयजणिया // 197 // रुजोवैरेतिमारी-डमरदुर्भिक्षमवृष्टिरतिवृष्टिः / योजनशते सपादे, न भवन्त्येते कर्मक्षयजनिताः // 197 // पायारतिगमसोगो-सीहासणधम्मचकचउरूवा / छच्चत्तयचमरदुंदुहि-रयणझया कणयपउमाई // 198 // पणवन्नकुसुमवुट्ठी, सुगंधजलवुट्टि वाउ अणुकूलो। .. छ रिउ पण इंदियत्था-णुकूलया दाहिणा सउणा // 199 // नहरोमाण अवुड्डी, अहोमुहा कंटया य तरुनमणं / सुरकोडिजहण्णण वि, जिणंतिए इअ सुरेहिं कया // 20 // प्राकारत्रिकमशोकः, सिंहासनधर्मचक्रचतूरूपाणि / छत्रत्रयचामरदुन्दुभि-रत्नध्वजकनकपद्मानि // 198 / /
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