Book Title: Samyktotsav Jaysenam Vijaysen Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Rupchandji Chagniramji Sancheti View full book textPage 9
________________ .. मुझने टोती वक घणा राणी मठ गावु क्रा खेदाचर्य टोली बक्त घणी रागी मेंठगा— १४८ १४१ मुझसे . यर यताएं राहनी रोष रक यह बनावं एहनी १६२ दोष खेदाश्चर्य करूं ब्रह १६५ mo 209 varma रहा शक्ति भोगवे मुगे । चेतावती मनुष्य चेतावता शाख भीगबे परिती पाय १६९ परिणति हार हम पाया विगोय हुक्कर और अरोहित सहित विमोय देख स्थानक नाशा राजका रायन होइ होद स्थानके नाश रातका रायको गया गमा अमोल ऋषि.Page Navigation
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