Book Title: Sambodhi 2011 Vol 34
Author(s): Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सुरेखा पटेल
SAMBODHI ४. मेचकमासेचनकं मिथ्यादृष्टान्तमध्यभागं तम् ।
मातस्तव स्वरूपं मङ्गलसंगीतसौरभं मन्ये || - नवरत्नमाला : ९ ५. तासां च पश्चात्कनकप्रभाणां काली कपालाभरणाचकासे ।
बलाकिनी नीलपयोदराजी दूरं पुरः क्षिप्तशतहदेव ॥ - कु. सं : ७/३९ ६. कियश्चिरं श्राम्यसि गौरि विद्यते ममापि पूर्वाश्रमसंचितं तपः ।
तदर्द्धभागेन लभस्व काङ्क्षितं वरं तमिच्छामि च साधु वेदतुम् ॥ - कु. सं. : ५/५० ७. उकारपञ्जरशुकीमुपनिषदुधान केलिकलकण्ठीम् । आगमविपिनमयूरीमार्यामन्तर्विभावये गौरीम् ॥ - नवरत्नमाला : १
सन्दर्भ ग्रन्थ : १. कालिदास, नवरत्नमाला, काव्यमाला खण्ड ४, निर्णय सागर प्रेस, मुम्बई, संस्करण-३, १९३७ २. M. Krshnamachariar, History of Classical literature, First Reprint, Delhi, 1970. ३. सप्तशती, गीताप्रेस गोरखपुर ४. अमरकोश : नामलिंगानुशासन किंवा अमरकोश, सम्पादक- जे. बी. सेंडिल, अहमदाबाद, आवृत्ति-१, १९७५ .. ५. सीताराम चतुर्वेदी, कालिदास ग्रन्थावली, अलीगढ, ६. काव्यप्रकाश (हिन्दी व्याख्या), श्री मम्मटाचार्य विरचित, सम्पादक : डॉ. नगेन्द्र ७. ऋग्वेदसंहिता (भाग-२) (मण्डल - ३ से ६), सं. श्रीराम शर्मा आचार्य, आवृत्ति-२, हरिद्वार, १९९५
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