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[समयसुन्दर रासत्रय एक दिन कुलदेवी आगलं, साथरौ घाली सूतो जी। अन्न पाणी लेइसि नहीं अन्यथा, दरसण ये अदभूतो जी एक सातमै दिन देवी परतिख थई, तैं आराधी केमो जी। कहि माता ए कवण वचन थयौ, कहै देवी ते तेमो जी ॥६॥ ए. कहि माता ते कुण किहां ऊपनौ, कुलदेवी कहै एमो जी। कांपिलपुर नौ त्रिविक्रम वाणीयौ, परिवार ऊपरि प्रेमो जी ॥७॥ पुष्पवती दासी छै तेहने, तेहनी कूखि उपन्नो जी। अदृश थई कुलदेवी इम कही, विलखौ थयो सेठ मन्नो जी ॥८॥ परभाते ऊठी कीयौ पारणौ, आवी बैठो एकांतो जी। साधदत्त भाई नै तेडीयौ, विगत कह्यौ विरतंतो जी ।। ६॥ ए० साधदत्त कहै भाई सांभलौ, म करौ मन विषवादो जी। कहो झूठौ किम बोले देवता, करम स्यु केहो वादो जी ।१०। एक वृद्धदत्त कहै विलखौ थकौ, सांभलि तू साधदत्तो जी। आपणा प्राण जातां पण आगमी, वेगि राखीजै वित्तो जी ॥११॥ भवितव्यता ऊपर बैसी रहै, परिहर पुरुषाकारो जी।। लछमी छोड़े तेहनै लाजती, जिम वृद्ध कंत कुमारो जी ।१२। ए० उद्यम धैर्य पराक्रम आगमी, बल साहस नै बुद्धो जी। ए छह देखी नै डरई देवता, संपजै कारिज सिद्धो जी ॥१३||एक साधदत्त कहै तुम्हे सांभलौ, सगला मिले सुरेसो जी। तौ पिण भवतव्यता भाजै नहीं, कूड़ा काय किलेसो जी।१४।ए० दैव उलंघी जे काम कीजीये, ते काम किमहि न थायो जी। बब्बीहो सर नौ पाणी पीय, पिण गलै नीसरि जायौ जी ॥१॥
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