Book Title: Samaysundar Ras Panchak
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 206
________________ श्री पुण्यसार चरित्र चउपई ] [ १३५ अंगि चिन्ता तुम्ह अंगि करिवा नी इच्छा कुमर । ras ऊठ मुझ संगि, कुमरि कहइ इम ही कुमरि । ५ । हरखइ जोड़ी हाथ, अधोभूमि आव्या बिन्हे | लिखी गुणे करि गाथ, कुमर जणावण कारणइ | ६ किहां गोपाचल किहां वलहि, किहां लम्बोदर देव । आव्यो बेटो वहि वसहि, गयो सत्तवि परवी ॥ १ ॥ वल्लभ्यां गोपालपुरादागां परिणीय वधू सप्त पुनर्तत्र नियतेर्वशात् । गतोस्म्यहं ॥ १ ॥ पुनः सोरठा रागि, खरी खंति खडीयइ करी । भागि, अक्षर लिखिया एहवा । ७ । [ सर्व गाथा १३७ उक्त मिलने १३६ ] रामा तणइ जु भीति तणइ इक ढाल (९) राग - मल्हार जीहो गुणसुन्दरि गजगामिनी लाल सखर सुभागिन तेह | जीहो वाच्यो नहीय विशेष स्युं लाल लाजंती गुण गेह । १ । सहुजन सुणिज्यो सरस सम्बन्ध । जीहो आणंद होवइ अति घणउ लाल, धर्म करउ तजि धंध | जीहो कुमर कहइ कुमरी सुणो लाल, बइठो थे घर बारि । जो सुख तनु चिंता करि सही लाल, आविस हुं अवधारि |२| जीहो निराबाध निकटइ रह्यउ लाल, नवि थाउ निरधार । जी हुं जाइ अलगो हली लाला, तूं रहि तुरत दुवारि । ३ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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