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उसने बच्चे से कहा कि भगवान की प्रतिमा के आगे सिर झुकायो । बच्चे ने इनकार किया तो उसने उसे पीटा । पिटाई के कारण बच्चे ने जबरदस्ती सिर झुकाया । ऐसा सिर झुकाना बेकार है । बच्चे को अपने आप झुकने दीजिए | जबरदस्ती का झुकना व्यर्थ है । जब बच्चे के मन में परमात्मा के प्रति भाव उत्पन्न होगा तो वह खुद भुकेगा और वो झुकना सार्थक होगा ।
भाव हमारे भीतर अंकुरित होना चाहिए । प्यास हमारे भीतर पल्लवित व पुष्पित होनी चाहिए । जहाँ-जहाँ प्यास है, वहाँवहाँ प्रार्थना है । हमारी प्यास जितनी सघन होगी और तीव्रतर होती जाएगी, हमारी प्रार्थना भी उतनी ही जीवंत होती जाएगी । बिना प्यास तो पानी भी अच्छा नहीं लगेगा । प्यास होगी तो आप हरिजन के हाथ से भी पानी पी लेंगे, और नहीं होगी तो कोई कुलीन वर्ग का व्यक्ति भी आपको पानी नहीं पिला सकेगा । पानी का महत्त्व है लेकिन तभी जब प्यास हो । ग्राप प्यासे नहीं हैं तो सामने पड़ा घड़ा भी आपके काम का नहीं है। कीमत तो प्यास की है, समर्पण की है ।
कोई महारानी एक चर्च में प्रार्थना करने गई । इससे पहले इस घटना का खूब प्रचार किया गया । जिस दिन महारानी चर्च पहुँची, वहां सैकड़ों लोग प्रार्थना करने आए । महारानी ने पादरी से कहा - आश्चर्य ! मेरे देश में इतने लोग धार्मिक हैं !
पादरी ने उन्हें बताया- 'महारानी ! आपको धोखा हो रहा है । ये लोग प्रार्थना करने नहीं प्रापको देखने आए हैं ।'
इसके बाद एक रोज महारानी बिना पूर्व सूचना उसी चर्च में पहुँची तो उनके प्राश्चर्य का ठिकाना न रहा । उन्होंने देखा कि मात्र
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