Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 115
________________ लेकिन एक बात ध्यान रखना, मुझे मारने के चक्कर में कहीं तू खुद न मर जाए। अंगुलिमाल ने बुद्ध को मारने के लिए खड़ग उठाया, बुद्ध की अांखों से करुणा और दया की वो अजस्र दृष्टि बरसी की अंगुलिमाल का मानस ही बदल गया। जिस खड़ग से वह बुद्ध को मारने चला था, उससे अपने ही बाल काट लिये, डाकू मर गया, भिक्षु पैदा हो गया । वह अब डाकू अंगुलिमाल नहीं रहा । बुद्ध रवाना हो गए। अंगुलिमाल उनके पीछे सिर झुकाकर चलने लगा। दोनों शहर में पहुंच गए। बुद्ध विहार में उन्होंने डेरा डाला। उधर पूरे शहर में पहले से चर्चाओं का बाजार गर्म था कि आज बुद्ध अंगुलिमाल के हाथों मारे जाएंगे, लेकिन जब उन्होंने बुद्ध को जीवित देखा तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। वहां के राजा अजातशत्रु ने बुद्ध के सकुशल लौटने की बात सुनी तो दौड़कर उनके दर्शन के लिए बुद्ध-विहार पहुंचा। उसने बुद्ध को प्रणाम किया और पूछा-भंते ! सुना है, आप अंगुलिमाल के मार्ग से आए हैं ?' बुद्ध ने कहा-'हां ।' राजा ने कौतूहल से पूछा-'तो क्या आपको वहां अंगुलिमाल नहीं मिला, उसने आप पर तलवार नहीं उठाई, आपको कुछ नहीं हुआ ?' बुद्ध ने धीरे से मुस्कुरा कर जवाब दिया- 'अंगुलिमाल मिला, उसने तलवार भी उठाई, लेकिन मुझे कुछ नहीं हुआ, हां! उसे जरूर कुछ हुआ ।' अजातशत्रु की जिज्ञासा बढ़ी। उसने पूछा-'वो अंगुलिमाल अब कहां है ?' बुद्ध ने अपने पास सिर झुका कर बैठे पुरुष की ओर इशारा किया । अंगुलिमाल को देखकर राजा चौंका, वह दौड़कर महल में गया और सेना को सतर्क करने लगा। उधर शहर में भी ( ११० ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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