Book Title: Samay ki Chetna
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 150
________________ आदमी पंच कल्याणक पूजा करता है तो वह कोई परमात्मा का कल्याण थोड़े ही करता है, वह तो अपना ही कल्याण करता है । मनुष्य स्वार्थी है। स्वार्थ ही उसके भाग्य का रोना है। वह समय के साथ नहीं, स्वार्थ के साथ चल रहा है । बेहतर होगा समय के साथ मैत्री कर लो। समय से शत्रुता रखकर किसी का भला नहीं हुआ। उससे दोस्ती करके जरूर वो आगे बढ़ सकता है, अपने तनाव कम कर सकता है। आवेग और प्रतिक्रिया पर नियन्त्रण पा सकता है। अगर आदमी समझ ले कि जो हो रहा है वो अच्छे के लिए हो रहा है तो उसका जीवन सफल हो जाए। यह सूत्र उसका जीवन बदल दे। जीवन की हजार समस्याएं हल हो जाएं । आप तो एक बात गांठ बांध लीजिए कि जो होता है अच्छे के लिए होता है। किसी ने गाली दी, अच्छी बात है और किसी ने प्रेम दिया और भी अच्छी बात है। किसी ने चांटा मार दिया तो अपनी भी मौज, उसकी भी मौज, जाने उस में कौनसी भलाई छिपी हो । कोई आपकी बदनामी कर रहा है तो उसका भी आने वाले समय में अर्थ होगा। हो सकता है आज आपकी बदनामी करने वाला कल आपके चरणों में धोक लगाए । मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी, उसका सूत्र भी यही था। हुआ ऐसा कि एक बार किसी राजा की अंगुली कट गई। उसने राजसभा में आकर यह बात कही तो उनके मंत्री ने जवाब दिया-'कोई बात नहीं प्रभु, जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।' राजा को बड़ा गुस्सा आया-'अरे मेरी अंगुली कट गई और तुम कहते हो, अच्छा हुआ, ? इसे जेल में डाल दिया जाए।' ऐसा ही हुआ। कुछ दिन पश्चात् राजा शिकार खेलने जंगल में गया। वहां सिपाही पीछे छूट गये और राजा अकेला पड़ गया । एकाएक उसे ( १४५ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158